जब दिल चुपचाप चीखता है
कभी-कभी हम इतने अकेले हो जाते हैं कि भीड़ में भी तन्हा महसूस होता है। हम चुपचाप जीते हैं, मुस्कराते हैं, लेकिन दिल के अंदर एक सवाल बार-बार गूंजता है —
"कोई मेरी सुनता क्यों नहीं है? कोई मुझे समझता क्यों नहीं है?"
यह सवाल सिर्फ शब्द नहीं हैं, यह एक चीख है — एक अंदरूनी आवाज़ जो हमें हर रात सोने नहीं देती।
1. जब अपनी बात कहने वाला कोई नहीं होता
हम सबके अंदर जज़्बात होते हैं। कोई दर्द छुपा होता है, कोई टूटे हुए ख्वाब होते हैं।
पर अफ़सोस, जब हम किसी से कुछ कहना चाहते हैं — तो लोग 'समझने' की बजाय 'जज' करने लगते हैं।
क्या आपको भी कभी ये महसूस हुआ है कि आपने सबका साथ दिया, पर जब आपकी बारी आई, तो सबने मुंह मोड़ लिया?
यही सबसे बड़ा दर्द होता है — जब आपकी खामोशी को कोई नहीं पढ़ता।
2. क्या लोग बदल गए हैं या हम ज़रूरत से ज़्यादा उम्मीद करने लगे हैं?
आज की दुनिया तेज़ है। सबको अपनी मंज़िल की जल्दी है। किसी के पास किसी की बात सुनने का वक़्त नहीं है।
शायद इसीलिए हमें लगता है कि कोई हमारी सुनता नहीं।
पर सच्चाई यह भी हो सकती है कि हमने उन लोगों से उम्मीदें जोड़ लीं, जो खुद अधूरे थे।
3. अगर कोई नहीं सुनता, तो क्या हम खुद को सुन सकते हैं?
कभी-कभी खुद से बात करना भी बहुत राहत देता है।
एक डायरी में अपने जज़्बात लिखना, किसी अजनबी को अपना मन हल्का करके कहना या
किसी ऐसे को ढूंढना जो सिर्फ सुने, जज ना करे — यही असली राहत है।
4. क्या मैं वाकई अकेला हूं?
नहीं। आप अकेले नहीं हैं।
आज लाखों लोग सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं, पर असल जिंदगी में तन्हा हैं।
उनमें से एक आप भी हो सकते हैं — पर ये जान लीजिए, हर टूटे दिल के पीछे एक कहानी होती है, और हर कहानी की अहमियत होती है।
5. क्या रास्ता है इससे बाहर निकलने का?
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अपने जज़्बातों को दबाइए मत — लिखिए, बोलिए, आर्ट बनाइए, पर ज़हर मत बनने दीजिए।
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जिनसे उम्मीद है, उनसे बात कीजिए — हो सकता है वो आपकी फीलिंग्स को समझें।
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अगर ज़रूरत हो, तो प्रोफेशनल हेल्प लीजिए — इसमें कोई शर्म की बात नहीं है।
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खुद के सबसे अच्छे दोस्त बनिए — अपने आप से प्यार करना सीखिए।
💖 निष्कर्ष – किसी ने सुना या नहीं, अब आपने खुद को सुन लिया
अगर आप ये पढ़ रहे हैं, तो एक बात जान लीजिए —
आपकी फीलिंग्स की वैल्यू है।
आपके दर्द की भी अहमियत है।
और सबसे ज़्यादा — आप अकेले नहीं हैं।
हर वो इंसान जो चुपचाप "कोई मेरी सुनता क्यों नहीं है?" कहता है —
वो असल में सबसे ज़्यादा सुनने लायक होता है। ❤️
अगर आप भी कभी इस सवाल में उलझे हैं —
"कोई मेरी सुनता क्यों नहीं है?" या "कोई मुझे समझता क्यों नहीं है?"
तो नीचे कमेंट में अपनी कहानी ज़रूर शेयर कीजिए।
क्योंकि कई बार सिर्फ "किसी का पढ़ लेना" ही सबसे बड़ी राहत बन जाता है।
