जीवन की धूप: एक लोअर मिडिल क्लास के जीवन की दर्दनाक कहानी | शायरी कविता

 कभी कभी धूप में चलते हुए,

थक कर बैठ जाते हैं हम,

गर्मी की छाया छोड़ कर,

अपने दुखों की चिंगारी के साथ।


पैसे की कमी, मशीन की गरमी,

और वह सफ़र गहराई में है।

अनजान रास्ते, अजनबी लोग,

और सपनों की भीड़ में है।


दूर देश की धूप में झेलते हुए,

उन्हीं के बीच में है हम।

अपने बच्चों के सपनों का अद्भुत साथ,

और अपनी पत्नी के प्यार की मिठास में है।


कभी कभी दिल भर आता है,

जब याद आती है माँ की गोद।

उसकी ममता, उसकी खुशबू,

सब कुछ अब भी तरसाता है।


लेकिन हर दिन एक सपना है,

एक आशा की किरण है जो जगाती है।

कि एक दिन होगा सफलता का संगम,

और सब कुछ होगा मनचाहा।




धुप में चलते हुए एक आदमी, जीवन के जंगल में खोया है,
जीवन की धूप में पसीने की बूंदों को संजोया है।

ग्राहकों की शिकायतों का सामना, बॉस की तानाशाही सहते हुए,
ज़िंदगी के साथ खिलवाड़ में, खुद को खोजते हुए।

परिवार की चिंगारी से दूर, गलियों की बेड़ियों में उलझा हुआ,
पत्नी के प्यार की मिठास से, अपनी राह बढ़ा हुआ।

बच्चों के सपनों की खोज में, हर कदम उसकी मेहनत का है,
जीवन के कठिनाइयों में, वह अपने सपनों का पीछा करता है।

धन की कमी, आर्थिक संकटों का सामना,
परिवार की जरूरतों को पूरा करता हुआ।


माँ की यादों का आंचल, बाबा की गोद,
उनकी आशीर्वाद में उसका शरणागत होना है।

ख्वाबों की नौबत, हर दिन का आसरा,
वह आगे बढ़ता है, होंसलों के साथ हर चुनौती का सामना करता है।

सोचता है वह, एक दिन आएगा,
जब मेहनत और ईमानदारी से मिलेगा उसे उसका मुकाम।

तब वह खुद को देखेगा, सफलता की ऊँचाइयों पर खड़ा,
उसके दुखों की दास्तान, जीवन की ये कहानी सारा जग सुनेगा।

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