इंसाफ़ की बात मत करो।
इंसानियत को सरे राह,,
शर्मसार ना करो,,
छोड़ो इंसाफ़ की बात मत करो।।
कचोटती है मुझे,,
हर दफा अखबारों की सुर्खियां।
गलतियां हुई तो हुई मगर,,
दुहरा कर वो ही,,
हर बार ना करो।
छोड़ो इंसाफ़ की बात मत करो।।
अंधा है कानून,,
क्या तो अंधा ही रहेगा।
अपनों के नाम क्या,,
बस चार कंधा ही रहेगा।
रक्षित करो,,
सरेआम रक्तिम संसार ना करो।
छोड़ो इंसाफ़ की बात ना करो।।
गर हाथ हमारे होती,,
कलम अदालत की।
पढ़ते नहीं लब,,
कटघरे में वकालत की।।
आहुतियां ज़िंदगियों की,,
बेकार ना करो।।
तोड़ फेको ज़ुल्म को,,
अब इंकार ना करो।।
इंसानियत को यू ही,,
शर्मसार ना करो।।
इक बार चलो इंसाफ़ की बात करो।।

Wow 👏 👏 👏
जवाब देंहटाएंSirraaa 👌 koka 👌👌👌 endd 👌👌👌
जवाब देंहटाएंSukriya
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